हैहयवंशीय क्षत्रिय ताम्रकार समाज संगठन, मध्यप्रदेश (पंजीकृत )
अखिल भारतीय युवक / युवती परिचय सम्मेलन एवं अधिवेशन ,भोपाल
दिनांक : १० एवं ११ अप्रैल २०१०
स्थान : सुंदर वन, बैरागढ़, लालघाटी, भोपाल
आयोजक : भोपाल संभाग संगठन समिति,
सम्मेलन में तन, मन, धन से आपका सहयोग प्राथर्निय है। कृपया संगठित होकर एकता का परिचय दें।
Thursday, March 11, 2010
Thursday, February 11, 2010
आज हमारे समाज में आस -पास जो कुछ भी हो रहा है । उस पर आप क्या सोचते हो ? यह जानने हेतु पोस्ट लिखी गयी है। हमारे समाज में जो कुछ गतिविधियाँ हो रही है । उन पर खुलकर अपने विचार बताइए ओर बताइए कि आप क्या परिवेर्तन चाहते है ओर उसे कैसे अमल में लाया जा सकता है ?
अभी कुछ ही दिनों पहले भोपाल मे एक मीटिंग में परिचय सम्मलेन आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस पोस्ट को पड़ने वालो से इस पर प्रतिक्रिया और सुझाव चाहूँगा । कि यह सम्मलेन को कैसे ओर आधिक सफल बनाया जा सके। ओर इस सम्मलेन में एसा क्या क्या होना चाहिए जो हमारे समाज के काम आ सके। आज हमारे समाज कि सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक सुद्रड़ता है। आज हम एक दुसरे को सहयोग करके कैसे समाज को आर्थिक सुड्रद बना सकते है। उपरोक्त सभी बिन्दुओं हेतु आप सभी लोगों से सुझाव आमंत्रित है।
अभी कुछ ही दिनों पहले भोपाल मे एक मीटिंग में परिचय सम्मलेन आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस पोस्ट को पड़ने वालो से इस पर प्रतिक्रिया और सुझाव चाहूँगा । कि यह सम्मलेन को कैसे ओर आधिक सफल बनाया जा सके। ओर इस सम्मलेन में एसा क्या क्या होना चाहिए जो हमारे समाज के काम आ सके। आज हमारे समाज कि सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक सुद्रड़ता है। आज हम एक दुसरे को सहयोग करके कैसे समाज को आर्थिक सुड्रद बना सकते है। उपरोक्त सभी बिन्दुओं हेतु आप सभी लोगों से सुझाव आमंत्रित है।
Monday, June 11, 2007
हैहय वंश के आराध्य देव पुरुष राज राजेश्वर कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन जी की आरती।
॥ श्री ॥
-- गणेशाय: नम: --
"जय सहस्त्रबाहू देवा"
जय सहस्त्रबाहू देवा-जय सहस्त्रबाहू देवा
माता जाकी पध्यिनी- पिता कार्तवीर्य
स्मरण को भोग लगे - हैहयवन्शीय करें सेवा
स्मरण को भोग लगे - हैहयवन्शीय करें सेवा
जय सहस्त्रबाहू देवा.............................
पिता संग माता ने तपस्या में साथ निभाया
विष्णु जी से श्रेष्ठ वीर पुत्र का वरदान पाया
बडे होने पर पिता ने राजमुकुट पहनाने का विचार बनाया
आपने बिना योग्यता राजपद न अपनाया
जय सहस्त्रबाहू देवा ..........................
गर्ग से पायी प्रेरणा - दत्तात्रेय की सेवा
चार वरदानों का फल पाया - सहस्त्रवाहों का बल पाया
धर्मपूर्वक प्रजा पालन एवं रक्षा का सूत्र हाथ आया
रणभूमि में जग के श्रेष्ठ योद्धा से मरने का विश्वास आया
जय सहस्त्रबाहू देवा ..........................
जय सहस्त्रबाहू देवा ..........................
अपना राज्य सात समंदर तक फैलाया
जन जन की रक्षा का वचन निभाया
रावण को अपनी भुजाओं में बंदी बनाया
सुन्दर काण्ड में वीर हनुमान से प्रशंसा पाया
जय सहस्त्रबाहू देवा ..........................
एक हज़ार यज्ञ प्रतिदिन सोने की वेदी में करवाया
धर्म ओर कर्म में जग में नाम कमाया
प्रात: नाम स्मरण कराने पर जन जन को
युगों से मन वांछित फल दिलवाया
स्वयं ने जग में राजराजेश्वर का पद पाया
जय सहस्त्रबाहू देवा ..........................
राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन की महिमा को देवों ने भी वेदों में गाया
महेश्वर में पूज्य स्थल बनवाया , शिवलिंग में तुमको बसाया
महेश्वर में पूज्य स्थल बनवाया , शिवलिंग में तुमको बसाया
आग्निदेव ने "आखंड ज्योती" के रूप में साथ निभाया
नर्मदा ने सहस्त्रधारा के संग अपना विशाल रूप दिखलाया
जन- जन ने महेश्वर को तीर्थस्थल के रूप में अपनाया
जय सहस्त्रबाहू देवा ..........................
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